Fire NOC: A Global Scam Putting Lives at Risk

Today, the Fire NOC (No Objection Certificate) has become nothing more than a formality, a useless piece of paper that provides a false sense of security. In India, obtaining a Fire NOC is mandatory for almost every building. But what does this piece of paper actually mean? Is it genuinely protecting lives, or is it just a tool for covering up negligence and incompetence? The sad reality is that most buildings in India, and indeed around the world, have Fire NOCs—but the vast majority lack a functioning fire protection system.

A System Built on Paper, Not Safety

In India, countless buildings—from commercial complexes to residential societies—boast of their Fire NOCs, but in reality, their fire safety systems are non-functional. Millions are spent on these systems, yet they are often found in a state of disrepair or completely inoperative. Why? Because no one bothers to maintain them! The systems are installed merely to tick a compliance box, not to protect lives. And let’s not kid ourselves—this isn’t just an Indian problem; it’s a global issue. A 2019 study by the National Fire Protection Association (NFPA) in the U.S. revealed that many fire protection systems were outdated or improperly maintained, rendering them almost useless in emergencies.

Empty Promises and False Security

Think about it: when was the last time you heard of a fire being controlled by a fire safety system in a building? Almost never! Why? Because these systems are rarely in automatic working condition. In the UK, a government report found that over 70% of buildings failed to meet fire safety standards despite having the necessary certification. In India, it’s no different—Fire NOC is being reduced to just another meaningless document. What purpose does it serve if it’s not backed by real, operational fire safety systems?

Even in government buildings, where the highest standards should be maintained, fire safety is often neglected. Either there is no system at all, or the existing systems are in a state of disrepair. This is so common that it has become normalized. No one seems to care until a fire breaks out, and by then, it’s too late.

The Illusion of Compliance

Fire NOC has become a shield for irresponsibility. People obtain this certificate not because they genuinely want to ensure safety, but simply to comply with regulations on paper. Nobody takes responsibility—not the building owners, not the developers, and not even the fire department. Shockingly, when issuing an NOC, the department itself ensures that the building owner signs a waiver stating that all liability rests with them in case of a fire. This is nothing but a bureaucratic exercise to shift the blame.

Moreover, the criteria for issuing Fire NOCs are grossly inadequate. Authorities rarely consider critical factors like fire load calculation, electrical load assessment, or proper evacuation routes. In China, a 2017 investigation found that over 60% of high-rise buildings in Beijing had fire safety violations, even though they all possessed Fire NOCs. Similarly, in India, industries in Gujarat—one of the most industrialized states—aren’t even required to obtain a Fire NOC! How is this even acceptable?

Why Are We Blind to the Real Risks?

The real tragedy is that we have normalized this state of affairs. Even after multiple fire tragedies, which have claimed countless lives, we remain blind to the risks. The focus is on cost-cutting and ticking boxes, rather than genuinely protecting lives. The global fire safety market is worth over $100 billion, but how much of that is actually spent on real, effective safety measures? Too often, the focus is on profits over protection.

In recent years, there have been countless cases of fires in hospitals, malls, factories, and residential buildings worldwide, where installed fire systems failed to function. What’s worse, in many instances, there wasn’t even an attempt to maintain these systems! Reports from countries like Brazil, where fire safety systems are often outdated or missing entirely, show that this is not just an Indian problem—it’s a global one.

Time to Demand Accountability

Enough is enough. Fire NOCs must be more than just a bureaucratic exercise. We need genuine accountability. Governments, fire departments, building owners, and developers must all be held responsible for ensuring that fire safety measures are not only installed but are also operational and effective. Fire safety should not be an afterthought, but a priority—something that protects lives, not just a piece of paper for compliance.

The global community needs to wake up and realize that fire safety is not a luxury but a necessity. It’s time for action. We must demand stricter regulations, regular inspections, and real penalties for non-compliance.

.

.

.

फायर NOC: असली आग के सामने एक कागज़ की ढाल

आजकल, फायर NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) बस एक औपचारिकता बनकर रह गया है—एक बेकार का कागज़, जो झूठी सुरक्षा का एहसास दिलाता है। भारत में, लगभग हर इमारत के लिए फायर NOC प्राप्त करना अनिवार्य है। लेकिन यह कागज़ वास्तव में क्या मायने रखता है? क्या यह सच में जीवन की रक्षा कर रहा है, या यह केवल लापरवाही और अक्षमता को छिपाने का एक तरीका है? दुखद सच्चाई यह है कि भारत और दुनियाभर की अधिकांश इमारतों के पास फायर NOC तो होता है, लेकिन इनमें से अधिकांश के पास एक कार्यशील अग्नि सुरक्षा प्रणाली नहीं होती।

कागज़ पर आधारित प्रणाली, सुरक्षा नहीं

भारत में, अनगिनत इमारतें—चाहे वह वाणिज्यिक परिसर हो या आवासीय सोसायटी—अपने फायर NOC का गर्व से प्रदर्शन करती हैं, लेकिन वास्तविकता में, उनकी अग्नि सुरक्षा प्रणालियाँ काम नहीं करतीं। इन प्रणालियों पर लाखों रुपये खर्च होते हैं, फिर भी ये अक्सर मरम्मत की स्थिति में होती हैं या पूरी तरह से निष्क्रिय होती हैं। क्यों? क्योंकि कोई भी उनकी देखभाल नहीं करता! इन प्रणालियों को केवल अनुपालन के लिए स्थापित किया जाता है, न कि जीवन की रक्षा के लिए। और हमें खुद को धोखा नहीं देना चाहिए—यह केवल भारतीय समस्या नहीं है; यह एक वैश्विक समस्या है। अमेरिका में 2019 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, कई अग्नि सुरक्षा प्रणालियाँ पुरानी या ठीक से मेंटेन नहीं की गईं, जिससे वे आपातकालीन स्थितियों में लगभग बेकार हो जाती हैं।

खाली वादे और झूठी सुरक्षा

सोचिए: पिछली बार कब आपने सुना कि किसी इमारत में अग्नि सुरक्षा प्रणाली ने आग को नियंत्रित किया? लगभग कभी नहीं! क्यों? क्योंकि ये प्रणालियाँ शायद ही कभी स्वचालित रूप से काम करती हैं। यूके में, एक सरकारी रिपोर्ट में पाया गया कि 70% से अधिक इमारतें अग्नि सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करतीं, फिर भी उनके पास आवश्यक प्रमाणपत्र होता है। भारत में भी स्थिति अलग नहीं है—फायर NOC अब एक बेकार के दस्तावेज़ में बदल गया है। इसका उद्देश्य क्या है अगर यह वास्तविक, कार्यशील अग्नि सुरक्षा प्रणालियों द्वारा समर्थित नहीं है?

यहां तक कि सरकारी इमारतों में भी, जहां उच्चतम मानकों को बनाए रखना चाहिए, अग्नि सुरक्षा अक्सर नजरअंदाज की जाती है। या तो कोई प्रणाली होती ही नहीं, या मौजूदा प्रणालियाँ इतनी खराब स्थिति में होती हैं कि उनका होना न होना बराबर है। यह इतना सामान्य हो गया है कि किसी को परवाह नहीं—न तो कोई आक्रोश है, न ही कोई जवाबदेही। यही खतरनाक उदासीनता रोज़ाना जीवन को खतरे में डालती है।

अनुपालन का भ्रम

फायर NOC अब जिम्मेदारी से बचने का एक ढाल बन गया है। लोग इस प्रमाणपत्र को प्राप्त करते हैं न कि सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, बल्कि केवल कागज़ पर नियमों का पालन करने के लिए। कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता—न तो भवन मालिक, न ही डेवलपर्स, और न ही अग्नि विभाग। आश्चर्य की बात यह है कि जब NOC जारी किया जाता है, तो विभाग खुद सुनिश्चित करता है कि भवन मालिक एक वॉइवर पर हस्ताक्षर करें जिसमें सभी जिम्मेदारी आग लगने की स्थिति में उनके ऊपर डाली जाती है। यह केवल एक नौकरशाही प्रक्रिया है जो दोषारोपण को स्थानांतरित करती है।

इसके अलावा, फायर NOC जारी करने के लिए मानदंड बेहद अपर्याप्त हैं। अधिकारी महत्वपूर्ण बातों जैसे कि अग्नि भार गणना, विद्युत भार मूल्यांकन, या उचित निकासी मार्गों पर ध्यान नहीं देते। चीन में 2017 की एक जांच में पाया गया कि बीजिंग की 60% से अधिक ऊँची इमारतों में अग्नि सुरक्षा उल्लंघन थे, हालांकि उनके पास फायर NOC था। इसी तरह, भारत में, गुजरात जैसे औद्योगिक राज्यों में—जहां औद्योगिक गतिविधियाँ चरम पर हैं—उद्योगों को भी फायर NOC प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है! यह स्वीकार्य कैसे हो सकता है?

हम असली जोखिमों को क्यों अनदेखा कर रहे हैं?

सच्चाई यह है कि हमने इस स्थिति को सामान्य मान लिया है। कई अग्नि त्रासदियों के बाद भी, जिनमें अनगिनत जीवन खोए गए हैं, हम फिर भी जोखिमों को नजरअंदाज करते हैं। ध्यान लागत-कटौती और चेकलिस्ट को पूरा करने पर है, न कि वास्तविक जीवन की रक्षा पर। वैश्विक अग्नि सुरक्षा बाजार की कीमत 100 बिलियन डॉलर से अधिक है, लेकिन इसमें से कितना वास्तव में प्रभावी सुरक्षा उपायों पर खर्च किया जाता है? बहुत बार, ध्यान लाभ पर होता है, न कि सुरक्षा पर।

हाल के वर्षों में, अस्पतालों, मॉल्स, कारखानों, और आवासीय इमारतों में दुनिया भर में दर्जनों घटनाएं हुई हैं, जहां स्थापित अग्नि प्रणालियाँ काम नहीं करतीं। और भी बुरा, कई बार, इन प्रणालियों को मेंटेन करने का प्रयास ही नहीं किया गया! ब्राज़ील जैसे देशों की रिपोर्टें, जहां अग्नि सुरक्षा प्रणालियाँ अक्सर पुरानी या पूरी तरह से अनुपस्थित होती हैं, यह दिखाती हैं कि यह केवल भारतीय समस्या नहीं है—यह एक वैश्विक समस्या है।

जवाबदेही की मांग करने का समय

अब काफी हो चुका है। फायर NOC को केवल एक नौकरशाही औपचारिकता से अधिक होना चाहिए। हमें वास्तविक जवाबदेही की आवश्यकता है। सरकारें, अग्नि विभाग, भवन मालिक, और डेवलपर्स सभी को यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए कि अग्नि सुरक्षा उपाय केवल स्थापित नहीं किए जाएं बल्कि कार्यशील और प्रभावी भी हों। अग्नि सुरक्षा को एक अतिरिक्त चीज नहीं बल्कि एक प्राथमिकता होना चाहिए—कुछ जो जीवन की रक्षा करे, न कि केवल अनुपालन के लिए एक कागज़ का टुकड़ा।

वैश्विक समुदाय को जागना होगा और समझना होगा कि अग्नि सुरक्षा एक विलासिता नहीं बल्कि एक आवश्यकता है। अब कार्रवाई का समय है। हमें कड़े नियमों, नियमित निरीक्षणों, और गैर-अनुपालन के लिए वास्तविक दंड की मांग करनी चाहिए।